!!हम गुस्से मे चिल्लाते क्यों हैं !!

एक बार एक संत अपने शिष्यों के साथ बैठे थे। अचानक उन्होंने सभी शिष्यों से
एक सवाल पूछा। बताओ जब दो लोग एक दूसरे पर गुस्सा करते हैं तो जोर- जोर से
चिल्लाते क्यों हैं? शिष्यों ने कुछ देर सोचा और एक ने उत्तर दिया : हम
अपनी शांति खो चुके होते हैं इसलिए चिल्लाने लगते हैं।
संत ने मुस्कुराते हुए कहा : दोनों लोग एक दूसरे के काफी करीब होते हैं तो फिर धीरे-धीरे भी तो बात
कर सकते हैं। आखिर वह चिल्लाते क्यों हैं? कुछ और शिष्यों ने भी जवाब दिया लेकिन संत संतुष्ट नहीं हुए और उन्होंने खुद उत्तर देना शुरू किया।
वह बोले : जब दो लोग एक दूसरे से नाराज होते हैं तो उनके दिलों में
दूरियां बहुत बढ़ जाती हैं। जब दूरियां बढ़ जाएं तो आवाज को पहुंचाने के
लिए उसका तेज होना जरूरी है। दूरियां जितनी ज्यादा होंगी उतनी तेज चिल्लाना
पड़ेगा। दिलों की यह दूरियां ही दो गुस्साए लोगों को चिल्लाने पर मजबूर कर
देती हैं। वह आगे बोले, जब दो लोगों में प्रेम होता है तो वह एक दूसरे से
बड़े आराम से और धीरे-धीरे बात करते हैं। प्रेम दिलों को करीब लाता है और
करीब तक  आवाज पहुंचाने के लिए चिल्लाने की जरूरत नहीं। जब दो लोगों
में प्रेम और भी प्रगाढ़ हो जाता है तो वह खुसफुसा कर भी एक दूसरे तक अपनी
बात पहुंचा लेते हैं। इसके बाद प्रेम की एक अवस्था यह भी आती है कि खुसफुसाने की जरूरत भी नहीं पड़ती। एक दूसरे की आंख में देख कर ही समझ आ जाता  है कि क्या कहा जा रहा है।  शिष्यों की तरफ देखते हुए संत बोले : अब जब भी कभी बहस करें तो दिलों की दूरियों को न बढ़ने दें। शांत चित्त और धीमी आवाज में ही बात करें।  ध्यान रखें कि कहीं दूरियां इतनी न बढ़जाएं कि वापस आना ही मुमकिन न हो.
”सैर कर दुनिया की गाफिल, जिंदगानी फिर कहाँ?
जिंदगी गर कुछ रही तो नौजवानी फिर कहाँ?”
#Mystic_Wanderer

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