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प्रकृति परमात्मा का प्रगट रूप है…
परमात्मा है आत्मा तो प्रकृति है शरीर …
परमात्मा है प्रेमी तो प्रकृति है प्रेयसी …
परमात्मा है गायक तो प्रकृति है गीत …
परमात्मा है वादक तो प्रकृति है उसका वादन …
और परमात्मा है नर्तक तो प्रकृति उसका निरत्य …
जिसने प्रकृति को न पहिचाना,
उसे परमात्मा की कोई याद न कभी आई है और न कभी आएगी …
जिसने प्रकृति को दुत्कारा, जिसने प्रकृति को इनकारा,
वह परमात्मा से इतना दूर हो गया कि जुड़ना असंभव है …
फूलों में अगर उसकी झलक न मिली,
तो पत्थर कि मूर्तियों में न मिलेगी …
चाँद तारों में अगर उसकी रौशनी न दिखी,
तो मंदिर में आदमी के हाथों से जलाई हुई आरतियाँ और दीये,
क्या ख़ाक रौशनी दे सकेंगी …
और हवाएं जब गुज़रती हैं वृक्षों से उनके गीत में अगर पग-ध्वनि न सुनाई पड़ी, तो तुम्हारे भजन और तुम्हारे कीर्तन सब व्यर्थ हैं …
प्रकृति से पहला नाता बनता है भक्त का …
प्रकृति से पहला नाता, फिर परमात्मा से जोड़ हो सकता है …
प्रकृति उसका द्वार है, उसका मंदिर है…
तुम परमात्मा को तो चाहते रहे हो ,
लेकिन प्रकृति को इनकार करते रहे हो …
इसी लिए परमात्मा चाह भी गया,
इतना, सदियों सदियों तक, और पाया भी नहीं गया …
प्रकृति परमात्मा का प्रगट रूप है…
परमात्मा है आत्मा तो प्रकृति है शरीर …
परमात्मा है प्रेमी तो प्रकृति है प्रेयसी …
परमात्मा है गायक तो प्रकृति है गीत …
परमात्मा है वादक तो प्रकृति है उसका वादन …
और परमात्मा है नर्तक तो प्रकृति उसका निरत्य …
जिसने प्रकृति को न पहिचाना,
उसे परमात्मा की कोई याद न कभी आई है और न कभी आएगी …
जिसने प्रकृति को दुत्कारा, जिसने प्रकृति को इनकारा,
वह परमात्मा से इतना दूर हो गया कि जुड़ना असंभव है …
फूलों में अगर उसकी झलक न मिली,
तो पत्थर कि मूर्तियों में न मिलेगी …
चाँद तारों में अगर उसकी रौशनी न दिखी,
तो मंदिर में आदमी के हाथों से जलाई हुई आरतियाँ और दीये,
क्या ख़ाक रौशनी दे सकेंगी …
और हवाएं जब गुज़रती हैं वृक्षों से उनके गीत में अगर पग-ध्वनि न सुनाई पड़ी, तो तुम्हारे भजन और तुम्हारे कीर्तन सब व्यर्थ हैं …
प्रकृति से पहला नाता बनता है भक्त का …
प्रकृति से पहला नाता, फिर परमात्मा से जोड़ हो सकता है …
प्रकृति उसका द्वार है, उसका मंदिर है…
तुम परमात्मा को तो चाहते रहे हो ,
लेकिन प्रकृति को इनकार करते रहे हो …
इसी लिए परमात्मा चाह भी गया,
इतना, सदियों सदियों तक, और पाया भी नहीं गया …
”सैर कर दुनिया की गाफिल, जिंदगानी फिर कहाँ?
जिंदगी गर कुछ रही तो नौजवानी फिर कहाँ?”
#Mystic_Wanderer
जिंदगी गर कुछ रही तो नौजवानी फिर कहाँ?”
#Mystic_Wanderer






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